हर एक राज़ कह दिया बस एक जवाब ने
हमको सिखाया वक़्त ने, तुमको किताब ने
इस दिल में बहुत देर तलक सनसनी रही
पन्ने यूँ खोले याद के, सूखे गुलाब ने
ये खुरदुरी ज़मीन अधिक खुरदुरी लगी
उलझा दिया कुछ इस तरह जन्नत के खाब ने
हालत ने हर रंग को बदरंग कर दिया
सोंपे थे जो भी रंग हमें आफताब ने
दो झील, एक चाँद, खिले फूल, तितलियाँ
क्या-क्या छुपा रखा था तुम्हारे नकाब ने
दुनिया को नई राह दिखने के वास्ते
शूली पे छाडे कोन ज़माने के वास्ते
शहरों कि भीड़ में न कहीं खो गए हों वे
जो गाँव से गए थे कमाने के वास्ते
दिखा न कोई जाल परिंदे को भूख में
उसने लुटा ही दी जान दाने के वास्ते
ऐ लोकतंत्र ! तेरे चमत्कार को नमन
जनता ही मिले तुझको निशाने के वास्ते
दामन जिन्होंने फूँक लिए कोन लोग थे
जीवन में रौशनी से निभाने के वास्ते
वक़्त जीवन में ऐसा न आये कभी
ख़त किसी के भी कोई जलाये कभी
धुल है, धुंध है, शोर ही शोर है
कोई मधुवन में बंसी बजाये कभी
मेरी मासूमियत खो गई है कहीं
काश बचपन मेरा लौट आये कभी
जिसकी खातिर में लिखता रहा उम्र भर
वो भी मेरी ग़ज़ल गुनगुनाये कभी
हमको सिखाया वक़्त ने, तुमको किताब ने
इस दिल में बहुत देर तलक सनसनी रही
पन्ने यूँ खोले याद के, सूखे गुलाब ने
ये खुरदुरी ज़मीन अधिक खुरदुरी लगी
उलझा दिया कुछ इस तरह जन्नत के खाब ने
हालत ने हर रंग को बदरंग कर दिया
सोंपे थे जो भी रंग हमें आफताब ने
दो झील, एक चाँद, खिले फूल, तितलियाँ
क्या-क्या छुपा रखा था तुम्हारे नकाब ने
दुनिया को नई राह दिखने के वास्ते
शूली पे छाडे कोन ज़माने के वास्ते
शहरों कि भीड़ में न कहीं खो गए हों वे
जो गाँव से गए थे कमाने के वास्ते
दिखा न कोई जाल परिंदे को भूख में
उसने लुटा ही दी जान दाने के वास्ते
ऐ लोकतंत्र ! तेरे चमत्कार को नमन
जनता ही मिले तुझको निशाने के वास्ते
दामन जिन्होंने फूँक लिए कोन लोग थे
जीवन में रौशनी से निभाने के वास्ते
वक़्त जीवन में ऐसा न आये कभी
ख़त किसी के भी कोई जलाये कभी
धुल है, धुंध है, शोर ही शोर है
कोई मधुवन में बंसी बजाये कभी
मेरी मासूमियत खो गई है कहीं
काश बचपन मेरा लौट आये कभी
जिसकी खातिर में लिखता रहा उम्र भर
वो भी मेरी ग़ज़ल गुनगुनाये कभी
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