उठा के पंख पे फिर आसमान उतरेगी
मिलूँगा तुझसे तो सारी थकान उतरेगी
सभी के दिल से उतर जायगा ये क़द तेरा
जब भी क़िरदार से तेरी ज़ुबान उतरेगी
ये जो शुहरत है मियाँ बुलबुला है पानी का
ज़रा-सी ठेस से ये सारी शान उतरेगी
चढ़ी है धूप तेरा इम्तिहान लेने को
थमा न तू तो ये सौ-सौ ढलान उतरेगी
तेरी तरक्की जो ऊपर है बादलों में कहीं
कभी तो हो के तुझपे मेहरबान उतरेगी
मिलूँगा तुझसे तो सारी थकान उतरेगी
सभी के दिल से उतर जायगा ये क़द तेरा
जब भी क़िरदार से तेरी ज़ुबान उतरेगी
ये जो शुहरत है मियाँ बुलबुला है पानी का
ज़रा-सी ठेस से ये सारी शान उतरेगी
चढ़ी है धूप तेरा इम्तिहान लेने को
थमा न तू तो ये सौ-सौ ढलान उतरेगी
तेरी तरक्की जो ऊपर है बादलों में कहीं
कभी तो हो के तुझपे मेहरबान उतरेगी